मलेशियाई प्रधानमंत्री का वादा: जाकिर नाइक के खिलाफ सबूत मिलने पर होगी कार्रवाई

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मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने विवादित इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण को लेकर बड़ा बयान दिया है। भारत यात्रा के दौरान उन्होंने कहा कि यदि जाकिर नाइक के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रस्तुत किए जाते हैं, तो उनके देश में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अनवर इब्राहिम की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद हुई एक कार्यक्रम के दौरान आई, जहां उनसे इस्लामी प्रचारक नाइक के प्रत्यर्पण के बारे में सवाल पूछा गया था।

अनवर इब्राहिम ने कहा, “अगर सबूत दिए जाते हैं तो आतंकवाद को कभी माफ नहीं किया जाएगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नाइक के मामले को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित नहीं करना चाहिए। उनका कहना था कि मलेशिया भारत के साथ आतंकवाद और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इस मुद्दे को औपचारिक रूप से भारत सरकार द्वारा नहीं उठाया गया था।

भारत-मलेशिया संबंधों पर जाकिर नाइक का प्रभाव

भारत और मलेशिया के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक में आतंकवाद और चरमपंथी तत्वों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की बात हुई। हालांकि, जाकिर नाइक के मुद्दे पर स्पष्ट बातचीत होने की पुष्टि नहीं की गई। जानकारों का मानना है कि भारत का प्राथमिक फोकस मलेशिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने पर है, खासकर जब से मलेशिया में महातिर मोहम्मद की सरकार बदल गई है। महातिर के कार्यकाल में भारत और मलेशिया के बीच रिश्तों में तनाव आ गया था, जब उन्होंने अनुच्छेद 370 और सीएए को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं।

अब नई सरकार के तहत दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिशें हो रही हैं। हालांकि, जाकिर नाइक का मुद्दा कौंसलर स्तर पर बातचीत का विषय बना हुआ है। भारत मलेशिया से नाइक के प्रत्यर्पण की लगातार मांग कर रहा है, जबकि मलेशिया ने अभी तक इस पर ठोस कदम नहीं उठाया है।

 जाकिर नाइक के खिलाफ आरोप और जांच

जाकिर नाइक के खिलाफ भारत में धनशोधन और कट्टरता फैलाने के गंभीर आरोप हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रहे हैं। नाइक पर युवाओं को उकसाने और आतंकी संगठनों से जोड़ने के आरोप भी हैं। अक्टूबर 2017 में NIA ने नाइक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि उसके भड़काऊ भाषणों के कारण कई युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो गए।

इसके अलावा, ED ने मई 2019 में नाइक के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में चार्जशीट दायर की, जिसमें 193 करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की गई थी, जिसमें से 50 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। ED का दावा है कि नाइक को 2003 से 2017 के बीच अज्ञात स्रोतों से 64 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी, जिसका इस्तेमाल पीस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने में किया गया था।

मलेशिया में जाकिर नाइक की स्थिति

जाकिर नाइक 2016 में भारत से भागकर मलेशिया चला गया था, जहां उसे तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की सरकार का संरक्षण मिला। नाइक ने मलेशिया में अपनी गतिविधियों को जारी रखा, जबकि भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की। मलेशिया के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि भी है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

विवादों में रहा जाकिर नाइक

जाकिर नाइक 1990 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) की स्थापना के बाद से चर्चा में आया। उसने पीस टीवी नामक चैनल भी शुरू किया, जिसके माध्यम से वह अपने भड़काऊ विचारों का प्रसार करता था। नाइक के भाषणों ने कई युवाओं को कट्टरपंथी बना दिया, जिसके कारण भारत, बांग्लादेश और अन्य देशों में उसके चैनल को बैन कर दिया गया।

नाइक जुलाई 2016 में चर्चा में तब आया जब बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए हमले में शामिल एक आतंकी ने बताया कि वह नाइक के वीडियो से प्रभावित था। इसके बाद, श्रीलंका में 2019 में हुए ईस्टर संडे बम धमाकों के तार भी नाइक से जुड़े पाए गए थे।

निष्कर्ष

जाकिर नाइक का मामला भारत और मलेशिया के बीच एक जटिल मुद्दा बना हुआ है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने नाइक के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके लिए ठोस सबूतों की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मलेशिया इस मामले में क्या कदम उठाता है और दोनों देशों के बीच संबंधों पर इसका क्या असर पड़ता है।

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