केंद्र सरकार ने यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम (UPS) को दी मंज़ूरी, सरकारी कर्मचारियों के लिए नई व्यवस्था का ऐलान
नई दिल्ली: लंबे समय से चल रही राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में सुधार की मांगों के बीच, केंद्र सरकार ने शनिवार देर शाम एक बड़ा कदम उठाते हुए यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना की जानकारी दी और बताया कि UPS अगले साल 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। इस नई पेंशन योजना का लाभ केंद्र सरकार के लगभग 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग और राजनीतिक प्रभाव:
पिछले कुछ सालों से सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली की मांग कर रहे थे, जिसे केंद्र सरकार ने 2004 में बंद कर दिया था। इस मांग ने राजनीतिक रूप से भी जोर पकड़ा, खासकर कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान। विपक्षी दलों ने OPS की बहाली को चुनावी मुद्दा बनाया और राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे विपक्ष शासित राज्यों में OPS को पुनः लागू भी किया गया।
देश के कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए UPS की घोषणा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, और जम्मू कश्मीर में इस साल के अंत तक चुनाव होने वाले हैं, जिनमें हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव की तारीख़ें भी घोषित हो चुकी हैं। ऐसे में UPS को सरकार का रणनीतिक कदम भी माना जा रहा है।
यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम (UPS) की मुख्य विशेषताएँ:
UPS के तहत केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य अंशदान का प्रावधान रखा है। इस योजना के अनुसार, कर्मचारी और सरकार दोनों को समान रूप से 10 प्रतिशत का अंशदान करना होगा। 2019 में, सरकार ने अपने अंशदान को बेसिक सैलरी और डीए का 14 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन UPS में इस अंशदान को पुनः 10 प्रतिशत पर वापस लाया गया है। वहीं, सरकार UPS में 18.5 प्रतिशत का अंशदान करेगी। इस तरह कुल अंशदान 28.5 प्रतिशत होगा, जिसमें से 20 प्रतिशत राशि कर्मचारी के मैनेजमेंट में होगी और शेष 8.5 प्रतिशत सरकार द्वारा मैनेज की जाएगी।
रिटायरमेंट के बाद की पेंशन और प्रबंधन:
नई योजना के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को उसके कुल संचित राशि का 60 प्रतिशत निकालने की अनुमति होगी। शेष 40 प्रतिशत को पेंशन फंड मैनेजर्स की विभिन्न स्कीमों में अनिवार्य रूप से निवेश करना होगा। पेंशन फंड का प्रबंधन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और निजी कंपनियों द्वारा किया जाएगा, जिसमें कर्मचारियों को ‘निम्नतम’ से ‘उच्चतम’ जोखिम वाले फंडों में से चुनाव का विकल्प मिलेगा। यह प्रावधान UPS को अधिक लचीला और सुरक्षित बनाता है।
कर्मचारी यूनियनों की प्रतिक्रिया:
हालांकि UPS की घोषणा को लेकर सरकारी कर्मचारी यूनियनों ने अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि जब NPS लागू किया गया था, तो उसे OPS से बेहतर बताया गया था, लेकिन 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद काफी कम पेंशन मिल रही है। इसके अलावा, उन्हें अपने वेतन से अंशदान भी करना पड़ रहा है, जबकि OPS पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सामाजिक सुरक्षा योजना पर निर्भर थी।
यूनियनों का कहना है कि UPS में कर्मचारी अंशदान के मामले में स्पष्टता नहीं है। साथ ही, UPS में ग्रैच्युटी के अलावा नौकरी छोड़ने पर एकमुश्त राशि भी दी जाएगी, जिसकी गणना हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10वां हिस्सा के आधार पर होगी।
UPS बनाम NPS और OPS:
UPS में सरकारी अंशदान 18.5 प्रतिशत होगा, जबकि NPS में यह 14 प्रतिशत है। इसके अलावा, UPS में कर्मचारी के पास अपने अंशदान के प्रबंधन का 20 प्रतिशत अधिकार होगा, जबकि NPS में पूरा प्रबंधन कर्मचारी के हाथ में होता है। OPS के मुकाबले UPS में अंतिम वर्ष के औसत वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में निर्धारित किया जाएगा, जबकि OPS में अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन दी जाती थी। UPS में 10 साल की नौकरी के बाद न्यूनतम 10,000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित की गई है, जो कि NPS में नहीं थी।
निष्कर्ष:
केंद्र सरकार की UPS योजना, NPS और OPS के बीच का एक संतुलन बनाते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए नई पेंशन व्यवस्था लेकर आई है। UPS के माध्यम से सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी वित्तीय बोझ को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया है। आने वाले समय में UPS के प्रभाव और कर्मचारी यूनियनों की प्रतिक्रियाओं पर सभी की नजरें होंगी।
Vinay_Harbla is a political and education expert with a deep understanding of governance, policy, and academic trends. With [3 years] of experience, they offer insightful analysis on current political events and educational developments shaping today’s world.